FILE - In this Oct. 2, 2015, file photo, India's Foreign Secretary S. Jaishankar speaks during a special event to recognize the International Day of Non-Violence at the United Nations headquarters. India's top diplomat Jaishankar will visit Washington this week for talks with the new U.S. administration, an Indian foreign ministry official said Sunday, Feb. 26, 2017. (AP Photo/Kevin Hagen, File)
S Jaishankar UPSC Interview: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने यूपीएससी की परीक्षा पास करने वाले अभ्यर्थियों से बातचीत के दौरान एक कार्यक्रम में अपने यूपीएससी इंटरव्यू में पूछे गए सवालों के बारे में बताया। उन्होंने अपने यूपीएससी इंटरव्यू के अनुभव साझा किए। विदेश मंत्री एस जयशंकर का यूपीएससी इंटरव्यू 21 मार्च 1977 को हुआ था। इसी दिन देश में आपातकाल को खत्म किया गया था। उन्होंने बताया कि यूपीएससी इंटरव्यू के दौरान उनकी आयु 22 वर्ष थी। वे शाहजहां रोड पर उस दिन इंटरव्यू देने सबसे पहले पहुंच गए थे।
उन्होंने बताया कि यूपीएससी इंटरव्यू में उनसे 1977 में हुए आम चुनावों के बारे में पूछा गया था। राजनीतिक बदलाव की लहर उनके यूपीएससी इंटरव्यू का हिस्सा बन गई थी। उन्होंने बताया कि वे उस समय जेएनयू में पॉलिटिकल साइंस के स्टूडेंट थे, और उन्होंने खुद भी आम चुनाव प्रचार में भाग लिया था और आपातकाल को हटाने के लिए अपनी आवाज बुलंद की थी। इसलिए वे इस प्रश्न का जवाब आसानी से दे पाए थे। उन्होंने कहा, “इस सवाल का जवाब देने के बाद मैं भूल गया कि मैं एक इंटरव्यू के लिए बैठा हूं और फिर उस दिन किसी तरह मेरी बात करने की क्षमता काम आ गई।”
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि यूपीएससी इंटरव्यू से उन्हें दो बड़ी सीख मिली। पहली यह कि सरकार से जुड़े लोगों को बिना नाराज किए अपना व्यक्तित्व मत कैसे रखें, जिसे उन्होंने इंटरव्यू के दौरान बखूबी निभाया।
दूसरा बबल में रहने वाले लोग। विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि इंटरव्यू के दिन मुझे लुटियन्स बबल के बारे में भी पता चला। उन्होंने कहा, ” इंटरव्यू बोर्ड के कुछ सदस्य जो मेरा इंटरव्यू ले रहे थे वे आपातकाल के खिलाफ जनता के आक्रोश को देख कर हैरान थे। वह लोग सचमुच बहुत हैरान थे.. वे यकीन नहीं कर पा रहे थे कि चुनाव का यह नतीजा आ रहा है, जबकि हम आम छात्र पहले से ही समझ सकते थे कि जनता के बीच में आपातकाल को लेकर कैसी लहर थी। इससे उन्हें यह समझ में आया कि कई बार शीर्ष पदों पर बैठे लोग जमीनी हकीकत से अनजान रहते हैं।

