दीपावली महापर्व की शुरुआत धनतेरस से होती है, जिसे धन त्रयोदशी भी कहा जाता है। यह दिन विशेष रूप से भगवान धन्वंतरि, मां लक्ष्मी और भगवान कुबेर की पूजा के लिए माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस दिन किए गए धार्मिक कर्म, पूजा और खरीदारी अत्यंत शुभ और फलदायी माने जाते हैं। घर की सफाई करना, दीपक जलाना और लक्ष्मी माता की पूजा करना इस दिन का मुख्य हिस्सा है। साथ ही सोना, चांदी, बर्तन और अन्य धातु की वस्तुएं खरीदना भी परंपरा के अनुसार घर में समृद्धि और सौभाग्य लाता है। इस साल 18 अक्टूबर को धनतेरस है।
प्रदोष काल में उनके चित्र या मूर्ति को घर के उत्तर-पूर्व दिशा में रखें।
दीपक जलाएं और धूप, फूल, अक्षत, हल्दी-कुंकुम अर्पित करें।
मां लक्ष्मी धन, समृद्धि और सौभाग्य की देवी हैं। धनतेरस पर विशेष रूप से उनका पूजन घर में सुख-समृद्धि लाने के लिए किया जाता है।
घर की सफाई करें और दीपक, फूल और रंगोली से सजाएं।
लक्ष्मी माता की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक और नैवेद्य (मिठाई, फल) रखें।
मंत्र का जाप करें: “ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नमः
कुबेर धन के देवता और यक्षों के राजा माने जाते हैं। वह घर और व्यवसाय में संपन्नता लाने वाले देवता हैं।
उत्तर दिशा में कुबेर यंत्र या मूर्ति रखें।
दीपक जलाएं, रोली और पुष्प अर्पित करें।
मंत्र का जाप करें: “ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये। धनधान्यसमृद्धिं मे देहि दापय स्वाहा॥”
4. यमराज का स्मरण (यम दीपक)
यमराज मृत्यु के देवता हैं। उनका स्मरण धनतेरस पर अकाल मृत्यु से सुरक्षा के लिए किया जाता है।
पूजा विधि:
घर के मुख्य द्वार पर दक्षिण दिशा में तेल का चारमुखी दीपक रखें।
पूरे मन से यमराज से परिवार की लंबी उम्र और सुरक्षा की प्रार्थना करें।
धनतेरस 2025 शुभ मुहूर्त
प्रदोष काल: शाम 5:48 बजे – रात 8:20 बजे
वृषभ काल: शाम 7:16 बजे – रात 9:11 बजे
पूजा मुहूर्त: शाम 7:16 बजे – 8:20 बजे
खरीदारी का शुभ समय:
18 अक्टूबर दोपहर 12:18 बजे से 19 अक्टूबर सुबह 6:24 बजे तक
चौघड़िया मुहूर्त:
सामान्य: 12:06 – 1:32 बजे
लाभ-अनुकूल: 1:32 – 2:57 बजे
अमृत-अनुकूल: 2:57 – 4:23 बजे
लाभ-अनुकूल: 5:48 – 7:23 बजे
शुभ-अनुकूल: 8:57 – 10:32 बजे
अमृत-अनुकूल: 10:32 – 12:06 बजे
सामान्य: 12:06 – 1:41 बजे
लाभ-अनुकूल (19 अक्टूबर): 4:50 – 6:24 बजे

