चार दिन तक चलने वाले सूर्य की उपासना के लोकपर्व छठ महापर्व की शुरुआत शनिवार को नहाय खाय के साथ शुरू हो गई। शहर में लक्ष्मण मेला मैदान में सबसे अधिक संख्या में व्रती लोग पहुंचकर वेदी तैयार करने में लगे रहे। वहीं, व्रती महिलाओं, पुरुषों ने सूर्योदय से पहले उठकर नदी, सरोवर में स्नान किया। अब रविवार को खरना में प्रसाद तैयार किया जाएगा। उसके बाद अगले दिन सोमवार को डूबते सूर्य और मंगलवार को उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत पूरे विधि विधान से पूरा होगा।
ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक छठ पूजा स्थल पर छठ माता और भगवान सूर्य की विशेष रूप से पूजा से पहले घी का दीपक जलाना चाहिए। दूसरे दिन खरना के बाद तीसरे दिन डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है,वहीं छठ पर्व के चौथे और आखिरी दिन (मंगल को) उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का पारण किया जाएगा।
छठ महापर्व के दूसरे दिन रविवार को पंचमी तिथि पर व्रती लोग खरना मनाएंगे। खरना के दिन निर्जला उपवास रखते हुए शाम को पूजा के साथ प्रसाद के रूप में खीर, रोटी, फल खाएंगे। गुड़ की खीर बनाकर छठ मैया को भोग लगाया जाएगा। पूरा परिवार व आसपास के लोग इस प्रसाद को ग्रहण करेंगे।

